What is Security Transaction Tax (STT)?सुरक्षा लेनदेन कर (एसटीटी):

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January 20, 2025

What is Security Transaction Tax (STT)?सुरक्षा लेनदेन कर (एसटीटी):

 Why in news ? The Security transaction tax ( STT)  has recently  jumped to  75 % despite market volatility .

What is Security Transaction Tax (STT)?

Security Transaction Tax (STT) is a tax levied on the transaction of securities that are traded on Indian stock exchanges. It was introduced by the Indian government in the Finance Act of 2004, and the tax is aimed at providing an additional revenue stream to the government and simplifying the taxation of securities trading.

Key Aspects of STT:

  1. Taxable Transactions: STT is applicable to transactions involving the purchase or sale of:
    • Equity shares
    • Derivatives
    • Mutual fund units
    • Securities listed on the recognized stock exchanges in India.
  2. Who Pays the Tax?
    • For equity shares, the buyer or seller may be required to pay STT, depending on whether the transaction is a purchase or sale.
    • For derivatives (such as futures and options), STT is typically paid by the seller.
    • For mutual funds, the tax is applied to both the purchase and sale of units in mutual funds.
  3. Rates of STT: The tax rates for different types of transactions vary:
    • Equity shares:
      • Sale of equity shares on the exchange (delivery-based transactions): 0.1% of the transaction value.
      • Non-delivery-based transactions (intraday trades): 0.025%.
    • Derivatives:
      • 0.01% on the value of the transaction in futures and options.
    • Mutual Funds:
      • 0.1% on the sale of equity-oriented mutual fund units.
  4. Purpose:
    • STT is intended to curb speculative trading and promote long-term investments in the Indian securities market.
    • It also aims to provide a stable source of revenue for the government, which is independent of the profits earned from trading activities.
  5. Advantages:
    • Simplifies Taxation: STT helps in simplifying the tax process as it is paid at the time of the transaction and does not require complex calculations.
    • Boosts Long-Term Investment: The tax structure generally favors long-term investments, encouraging stability in the stock market.
  6. Exemptions:

    Equity sales on recognized exchanges: In cases where the equity sale is exempt under specific circumstances (such as certain institutional investments), STT may not apply.

  7. Non-residents: In some cases, non-residents may be exempt from certain STT provisions, depending on the tax treaty between India and their country of residence.Impact:

    Trading Costs: STT increases the overall cost of trading in the market for investors, especially for those engaging in short-term trading.Market Liquidity: Though STT may affect liquidity to some extent by raising transaction costs, it also ensures that a portion of the capital flows back to the government, which can be used for the development of the securities market.

In summary, STT is a specific tax that applies to securities transactions, ensuring that the government generates revenue from the trading of financial instruments in the stock market while simplifying the tax compliance process for investors.

सुरक्षा लेनदेन कर (एसटीटी):

चर्चा में क्यों ? सुरक्षा लेनदेन कर (एसटीटी) हाल ही में बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद 75% तक बढ़ गया है।

सुरक्षा लेनदेन कर (एसटीटी) क्या है?

सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) एक ऐसा कर है जो भारतीय शेयर बाजारों में व्यापार किए गए सिक्योरिटी के लेन-देन पर लगाया जाता है। इसे भारतीय सरकार ने वित्त अधिनियम 2004 के तहत लागू किया था, और इसका उद्देश्य सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करना और सिक्योरिटी व्यापार पर कराधान की प्रक्रिया को सरल बनाना है।

STT के मुख्य पहलू:

  1. करयोग्य लेन-देन: STT उन लेन-देन पर लागू होता है, जिनमें शामिल होते हैं:
    • इक्विटी शेयर (इक्विटी शेयरों की खरीद और बिक्री)
    • डेरिवेटिव्स (फ्यूचर्स और ऑप्शंस)
    • म्यूचुअल फंड यूनिट्स
    • भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध सिक्योरिटी
  2. कर कौन भुगतान करता है?
    • इक्विटी शेयरों के लिए, खरीदार या विक्रेता को STT का भुगतान करना हो सकता है, जो लेन-देन की प्रकृति (खरीद या बिक्री) पर निर्भर करता है।
    • डेरिवेटिव्स (जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस) के लिए, STT आमतौर पर विक्रेता द्वारा भुगतान किया जाता है।
    • म्यूचुअल फंड के लिए, यह कर म्यूचुअल फंड यूनिट्स की खरीद और बिक्री दोनों पर लागू होता है।
  3. STT की दरें: विभिन्न प्रकार के लेन-देन के लिए कर दरें अलग-अलग होती हैं:
    • इक्विटी शेयर:
      • शेयरों की बिक्री (डिलीवरी आधारित लेन-देन): लेन-देन के मूल्य का 0.1%।
      • गैर-डिलीवरी आधारित लेन-देन (इंट्राडे ट्रेड्स): 0.025%।
    • डेरिवेटिव्स:
      • फ्यूचर्स और ऑप्शंस पर लेन-देन के मूल्य का 0.01%।
    • म्यूचुअल फंड्स:
      • इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री पर 0.1%।
  4. उद्देश्य:
    • STT का उद्देश्य अटकलों (speculative trading) को रोकना और भारतीय सिक्योरिटी बाजार में दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देना है।
    • यह सरकार के लिए एक स्थिर राजस्व स्रोत प्रदान करने का भी उद्देश्य रखता है, जो व्यापारिक लाभ से स्वतंत्र हो।
  5. लाभ:
    • कराधान को सरल बनाना: STT कर प्रक्रिया को सरल बनाता है क्योंकि यह लेन-देन के समय पर भुगतान किया जाता है और इसके लिए जटिल गणना की आवश्यकता नहीं होती।
    • दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा: कर संरचना आमतौर पर दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देती है, जिससे शेयर बाजार में स्थिरता बनी रहती है।
  6. मुक्तियां:
    • इक्विटी बिक्री पर यदि किसी विशेष परिस्थिति के तहत STT लागू नहीं होता (जैसे कुछ संस्थागत निवेशकों के लिए), तो कर नहीं लिया जा सकता।
    • निवासी न होने वाले व्यक्ति (Non-residents): कुछ मामलों में, विदेशों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष STT प्रावधानों से छूट हो सकती है, जो भारत और उनके देश के बीच कर संधि पर निर्भर करती है।
  7. प्रभाव:
    • व्यापार लागत: STT, विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए जो शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग करते हैं, व्यापार की कुल लागत को बढ़ा देता है।
    • बाजार में तरलता: हालांकि STT व्यापार लागत को बढ़ाकर तरलता को प्रभावित कर सकता है, यह सुनिश्चित करता है कि पूंजी का एक हिस्सा सरकार को वापस जाए, जिसे सिक्योरिटी बाजार के विकास में उपयोग किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

STT एक विशेष कर है जो सिक्योरिटी लेन-देन पर लागू होता है, जिससे सरकार को व्यापार के माध्यम से राजस्व मिलता है, साथ ही यह निवेशकों के लिए कर अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाता है।


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