The Union education ministry  has launched the One Nation One Subscription (ONOS

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January 2, 2025

The Union education ministry  has launched the One Nation One Subscription (ONOS

The Union education ministry  has launched the One Nation One Subscription (ONOS) scheme to facilitate free access to most high-end academic journals and articles published globally to students in various government-funded higher educational institutions, including IITs, across the country.

Key Points of the One Nation One Subscription (ONOS) Scheme:

  1. Launch and Purpose:
    • The One Nation One Subscription (ONOS) scheme was launched by the Union Education Ministry to provide free access to global academic journals and articles for students in government-funded higher education institutions, including IITs.
    • The scheme aims to improve the research and development (R&D) ecosystem in India, aligning with the goals of the National Education Policy (NEP) 2020, which emphasizes research as a key driver for educational and national progress.
  2. Target Beneficiaries:
    • 18 million students, faculty, and researchers from various disciplines like STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics), medicine, social sciences, finance, and accounts will benefit from the scheme.
  3. Increased Access to Knowledge:
    • The scheme ensures equitable access to research by making journals available to institutions in tier 2 and tier 3 cities, thus promoting inclusive knowledge sharing.
    • Over 13,400 international journals will be available in the first phase, covering fields like STEM, medicine, management, social sciences, and humanities.
  4. Institutions Covered:
    • The scheme will benefit 451 state public universities, 4,864 colleges, and 172 institutes of national importance, totaling 6,380 institutions.
    • Journals will be provided by 30 major publishers, including Elsevier, Springer Nature, and Wiley.
  5. Subscription Process:
    • The entire subscription will be centrally coordinated by INFLIBNET, an autonomous inter-university center under the University Grants Commission (UGC), which will manage the digital distribution of journals.
  6. Digital Access:
    • All journals will be accessible through a digital platform, ensuring ease of access and minimizing administrative complexities.
  7. Funding and Duration:
    • A total of ₹6,000 crore has been allocated for the scheme over three years (2025-2027), covering subscription charges for participating institutions.
    • Additionally, ₹150 crore per year will be allocated to support beneficiary authors in publishing in high-quality Open Access (OA) journals.
  8. Phased Implementation:
    • Phase I (starting in 2024) will provide access to 13,000 journals for 6,300 academic and research institutes, including both central and state government universities and colleges.
    • Subsequent phases will use the experience of Phase I to expand the scheme further.
  9. Future Steps:
    • The scheme is part of a broader strategy that includes promoting Indian journals and repositories, and introducing new research evaluation methods that emphasize innovation and entrepreneurship, in addition to traditional journal metrics.

This initiative is designed to enhance India’s academic research infrastructure, making high-quality research more accessible and fostering a stronger academic community across the country.

योजना के मुख्य बिंदु:

  1. प्रारंभ और उद्देश्य:
    • वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (ONOS) योजना को केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य सरकारी वित्त पोषित उच्च शैक्षिक संस्थानों, जिसमें IITs भी शामिल हैं, के छात्रों को वैश्विक शैक्षिक पत्रिकाओं और लेखों तक मुफ्त पहुंच प्रदान करना है।
    • यह योजना भारत में अनुसंधान और विकास (R&D) पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने के उद्देश्य से है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों के साथ मेल खाती है, जिसमें अनुसंधान को शैक्षिक और राष्ट्रीय प्रगति के मुख्य चालक के रूप में पहचाना गया है।
  2. लाभार्थी:
    • इस योजना से 18 मिलियन छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता लाभान्वित होंगे, जो STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित), चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, वित्त और लेखा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
  3. ज्ञान तक बढ़ी हुई पहुंच:
    • यह योजना तृतीयक और द्वितीयक श्रेणी के शहरों में स्थित संस्थानों को शोध पत्रिकाओं तक समान पहुंच प्रदान करने का सुनिश्चित करती है, जिससे समावेशी ज्ञान साझा करना बढ़ेगा।
    • पहले चरण में 13,400 अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, जो STEM, चिकित्सा, प्रबंधन, सामाजिक विज्ञान और मानविकी जैसे क्षेत्रों को कवर करेंगी।
  4. संस्थाएं जो लाभान्वित होंगी:
    • इस योजना से 451 राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों, 4,864 कॉलेजों, और 172 राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को लाभ मिलेगा, कुल मिलाकर 6,380 संस्थान इसका हिस्सा होंगे।
    • पत्रिकाओं को 30 प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रदान किया जाएगा, जिनमें Elsevier, Springer Nature, और Wiley शामिल हैं।
  5. सदस्यता प्रक्रिया:
    • पूरे सदस्यता प्रक्रिया का समन्वय INFLIBNET (Information and Library Network) द्वारा किया जाएगा, जो UGC के तहत एक स्वायत्त अंतरविश्वविद्यालय केंद्र है, और यह संस्थानों को डिजिटल पत्रिकाओं तक पहुंच प्रदान करेगा।
  6. डिजिटल पहुंच:
    • सभी पत्रिकाएं एक डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से उपलब्ध होंगी, जो सुगम पहुंच और प्रशासनिक जटिलताओं को कम करने में मदद करेगी।
  7. वित्तीय सहायता और अवधि:
    • इस योजना के लिए कुल ₹6,000 करोड़ का बजट तय किया गया है, जो 2025-2027 तक तीन वर्षों में संस्थानों के लिए सदस्यता शुल्क कवर करेगा।
    • इसके अतिरिक्त, प्रत्येक वर्ष ₹150 करोड़ का आवंटन लाभार्थी लेखकों को गुणवत्ता वाले Open Access (OA) पत्रिकाओं में प्रकाशित करने के लिए किया जाएगा।
  8. चरणबद्ध कार्यान्वयन:
    • चरण 1 (2024 से शुरू) में 13,000 पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और 6,300 शैक्षिक और शोध संस्थानों को यह सुविधा दी जाएगी, जिनमें केंद्रीय और राज्य सरकार के विश्वविद्यालय और कॉलेज शामिल होंगे।
    • इसके बाद के चरणों में चरण 1 के अनुभव का उपयोग करके योजना का विस्तार किया जाएगा।
  9. भविष्य की योजनाएं:
    • यह योजना एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें भारतीय पत्रिकाओं और रिपॉजिटरीज़ को बढ़ावा देना और नए शोध मूल्यांकन विधियों को पेश करना शामिल है, जो नवाचार और उद्यमिता को पारंपरिक पत्रिका मेट्रिक्स के साथ जोड़ते हैं।

यह पहल भारत के शैक्षिक अनुसंधान बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले शोध को अधिक सुलभ बनाया जा सके और देश में एक मजबूत शैक्षिक समुदाय का निर्माण हो सके।


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