January 28, 2025
Peptide profiling in cow urine:
Why in News ? On January 15, IIT-Madras Director V. Kamakoti claimed that cow urine has antifungal, antibacterial, and anti-inflammatory properties during a visit to a goshala in Chennai.
- He referenced five peer-reviewed papers supporting the “anti-infective” benefits of cow urine, which sparked controversy and went viral on social media.
- Papers Cited by Dr. Kamakoti:
- First Paper: “Peptide profiling in cow urine” (Nature Scientific Reports, June 14, 2021) explores the molecular properties of cow urine, suggesting bioactive properties. Experts noted it was more of an analysis of bovine urine peptides, not a claim of therapeutic benefits.
- Second Paper: “Benefits of cow urine” (International Journal of Recent Advances in Multidisciplinary Research, September 29, 2017) reviews the medicinal uses of cow urine, citing benefits for various diseases. Critics raised concerns about its credibility, pointing out poor quality in publishing and grammatical errors. Experts warned about the potential harm of urine consumption.
- Scientific Criticism:
- Experts, like Aniket Sule and Gautam Menon, questioned the relevance and scope of the studies. They noted that the papers mostly described chemical analysis, not conclusive evidence for health benefits.
- Concerns About Cow Urine Consumption:
- Dipshikha Chakravortty (IISc, Bengaluru) warned that consuming any urine is dangerous due to the risk of harmful bacteria.
- Bhoj Roj Singh’s 2022 Study found that cow urine contains harmful bacteria, including E. coli, and consuming it can lead to infections, particularly for people with weakened immune systems.
- Conclusion:
- While some studies have examined cow urine’s chemical properties, there is no conclusive evidence supporting its medicinal benefits. Consuming cow urine may pose health risks, especially in its raw form, due to contamination with harmful bacteria. The debate continues with concerns over scientific validity and safety.
15 जनवरी को IIT-Madras के निदेशक V. Kamakoti ने चेन्नई के एक गोशाला में गाय के मूत्र के एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने का दावा किया। उन्होंने गाय के मूत्र के “एंटी-इंफेक्टिव” गुणों का समर्थन करने वाले पांच पियर-रिव्यूड पेपर का हवाला दिया, जिनके बाद उनके बयान पर विवाद उठ गया और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
डॉ. कामकोटी द्वारा उद्धृत पेपर:
- पहला पेपर: “Peptide profiling in cow urine” (Nature Scientific Reports, 14 जून 2021) ने गाय के मूत्र के आणविक गुणों का पता लगाया, जो बायोएक्टिव गुणों का सुझाव देता है। विशेषज्ञों ने यह बताया कि यह अधिकतर गाय के मूत्र के पेप्टाइड्स का विश्लेषण है, न कि चिकित्सीय लाभ का दावा।
- दूसरा पेपर: “Benefits of cow urine” (International Journal of Recent Advances in Multidisciplinary Research, 29 सितंबर 2017) ने गाय के मूत्र के औषधीय उपयोगों की समीक्षा की, जिसमें विभिन्न बीमारियों के लिए लाभ बताए गए हैं। आलोचकों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए, जिसमें प्रकाशन की गुणवत्ता और व्याकरणिक त्रुटियों पर ध्यान दिलाया। विशेषज्ञों ने मूत्र के सेवन से होने वाले संभावित खतरे की चेतावनी दी।
वैज्ञानिक आलोचना:
विशेषज्ञों, जैसे कि Aniket Sule और Gautam Menon ने इन अध्ययनों की प्रासंगिकता और दायरे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ये पेपर ज्यादातर रासायनिक विश्लेषण का वर्णन करते हैं, न कि स्वास्थ्य लाभ के लिए निर्णायक प्रमाण।
गाय के मूत्र के सेवन के बारे में चिंताएं:
- Dipshikha Chakravortty (IISc, Bengaluru) ने चेतावनी दी कि किसी भी मूत्र का सेवन खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं।
- Bhoj Roj Singh का 2022 का अध्ययन पाया कि गाय के मूत्र में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जिनमें E. coli शामिल है, और इसे सेवन करने से संक्रमण हो सकता है, विशेषकर उन लोगों में जिनकी रोग प्रतिकारक क्षमता कमजोर हो।
निष्कर्ष:
हालांकि कुछ अध्ययन गाय के मूत्र के रासायनिक गुणों का विश्लेषण करते हैं, इसके औषधीय लाभों के लिए कोई निर्णायक प्रमाण नहीं है। गाय के मूत्र का सेवन, विशेष रूप से कच्चे रूप में, हानिकारक बैक्टीरिया से प्रदूषित होने के कारण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। वैज्ञानिक वैधता और सुरक्षा को लेकर बहस जारी है।