December 17, 2024
“One Nation, One Election: Opposition says bills undermine state legislatures, shift power to Election Commission”
This article discusses the “One Nation, One Election” proposal, focusing on the opposition’s criticisms of the bills introduced to facilitate simultaneous elections across India. Here’s a breakdown of the key elements in the heading:
“One Nation, One Election”:
This refers to the idea of holding all elections in India—Lok Sabha (national elections), State Assemblies, and local body elections—simultaneously, or in the same year, to streamline the electoral process. The goal is to reduce costs, ensure better resource management, and create a more synchronized election system.
Key Themes from the Article:
Opposition Concerns: Critics from opposition parties (e.g., Congress, Samajwadi Party, TMC, DMK) argue that the bills are undemocratic, violate the Constitution’s basic structure, and encroach on state autonomy.
Shifting Power to the ECI: The proposed bills would grant the Election Commission more control over the election timetable, further centralizing decision-making.
Debate and Consultations: The government, recognizing the opposition’s concerns, has agreed to refer the bills to a Joint Parliamentary Committee (JPC) for wider consultations and discussions.
Summary:
The “One Nation, One Election” proposal aims to hold all major elections in India at the same time, but opposition parties argue that this undermines the autonomy of state legislatures and hands too much power to the Election Commission, potentially eroding the federal structure of India’s democracy.
लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक का प्रस्तुतीकरण:
“एक राष्ट्र, एक चुनाव: विपक्ष का कहना है कि विधेयक राज्य विधानसभाओं को कमजोर करते हैं, चुनाव आयोग को शक्ति प्रदान करते हैं”
यह लेख “एक राष्ट्र, एक चुनाव” प्रस्ताव पर चर्चा करता है, जिसमें भारत भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए प्रस्तुत विधेयकों की विपक्ष की आलोचनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। शीर्षक में प्रमुख तत्वों का विवरण इस प्रकार है:
“एक राष्ट्र, एक चुनाव”:
यह भारत में सभी चुनाव – लोकसभा (राष्ट्रीय चुनाव), राज्य विधानसभाएं और स्थानीय निकाय चुनाव – एक साथ या एक ही वर्ष में कराने के विचार को संदर्भित करता है, ताकि चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके। इसका लक्ष्य लागत कम करना, बेहतर संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करना और अधिक समन्वित चुनाव प्रणाली बनाना है।
“विपक्ष का कहना है कि विधेयक राज्य विधानसभाओं को कमजोर करते हैं”:
विपक्षी दलों का तर्क है कि ये विधेयक राज्य विधानसभाओं की स्वायत्तता के लिए खतरा पैदा करते हैं। उनका मानना है कि प्रस्ताव राज्य सरकारों के अधीनता की ओर ले जा सकता है, क्योंकि इससे उनके चुनाव चक्र लोकसभा चुनावों पर निर्भर हो जाएंगे, जिससे राज्य विधानसभाओं की शक्ति कम हो जाएगी।
3. “चुनाव आयोग को अधिकार सौंपना”
विपक्षी नेताओं का तर्क है कि ये विधेयक भारत के चुनाव आयोग (ECI) को चुनाव कार्यक्रम तय करने में अत्यधिक शक्ति प्रदान करेंगे। उनका मानना है कि इससे सत्ता का केंद्रीकरण होगा, राज्य सरकारों की भूमिका कमज़ोर होगी और संघवाद कम होगा।
लेख के मुख्य विषय:
विपक्ष की चिंताएँ: विपक्षी दलों (जैसे, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके) के आलोचकों का तर्क है कि ये विधेयक अलोकतांत्रिक हैं, संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करते हैं और राज्य की स्वायत्तता का अतिक्रमण करते हैं।
ईसीआई को अधिकार सौंपना: प्रस्तावित विधेयक चुनाव आयोग को चुनाव समय-सारिणी पर अधिक नियंत्रण प्रदान करेंगे, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया और अधिक केंद्रीकृत हो जाएगी।
बहस और परामर्श: सरकार ने विपक्ष की चिंताओं को समझते हुए, व्यापक परामर्श और चर्चा के लिए विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने पर सहमति व्यक्त की है।
सारांश: “एक राष्ट्र, एक चुनाव” प्रस्ताव का उद्देश्य भारत में सभी प्रमुख चुनाव एक ही समय पर कराना है, लेकिन विपक्षी दलों का तर्क है कि यह राज्य विधानसभाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है और चुनाव आयोग को बहुत अधिक शक्ति देता है, जो संभावित रूप से भारत के लोकतंत्र के संघीय ढांचे को कमजोर करता है।
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