Miyawaki technique  in Prayagraj for the Mahakumbh 2025 preparations/मियावाकी तकनीक और प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों में इसका कार्यान्वयन:

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January 9, 2025

Miyawaki technique  in Prayagraj for the Mahakumbh 2025 preparations/मियावाकी तकनीक और प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों में इसका कार्यान्वयन:

Why in news ? Over the past two years, 56,000 square meters of dense forests have been developed in Prayagraj using the Miyawaki technique

1. Dense Forests Created in Prayagraj:

  • Over the past two years, 56,000 square meters of dense forests have been developed in Prayagraj using the Miyawaki technique.
  • The project aims to create a green and healthy environment for the millions of devotees expected for Mahakumbh 2025.
  • Prayagraj Municipal Corporation (PMC) has planted trees at more than 10 locations across the city, transforming garbage dumps and barren lands into lush, green forests.

2. Miyawaki Technique:

  • Developed by Akira Miyawaki, a Japanese botanist, this technique is designed to create dense, native forests in small urban spaces.
  • The Miyawaki method involves planting trees and shrubs in close proximity to each other, accelerating their growth.
  • Key benefits:
    • Trees grow 10 times faster than in traditional planting methods.
    • Creates biodiverse ecosystems with a mix of native species.
    • Improves soil quality, boosts air quality, and helps in carbon absorption.
    • Helps in environmental restoration by managing industrial waste, reducing dust and odors, and preventing soil erosion.

3. Implementation in Prayagraj:

  • 1.2 lakh trees were planted in the Naini industrial area over a vast area, making it the largest plantation site.
  • In Baswar, around 27,000 trees were planted to restore the city’s largest garbage dump into a green area, helping in waste management, reducing dust, dirt, and bad odors, and improving air quality.
  • Species planted:
    • Fruit-bearing trees (mango, tamarind, neem, amla, etc.)
    • Medicinal plants (tulsi, brahmi, kadamba, etc.)
    • Ornamental plants (hibiscus, bougainvillea, gulmohar, etc.)
    • Others: sheesham, bamboo, mahogany, drumstick, and more.

4. Benefits of Miyawaki Forests:

  • Temperature regulation: These forests can lower the temperature by 4 to 7°C during summers, reducing the temperature difference between day and night.
  • Boosts biodiversity: Encourages the growth of a variety of species and provides habitats for animals and birds.
  • Improves soil fertility: Miyawaki forests contribute to enhanced soil quality and reduce soil erosion.
  • Pollution reduction: These forests absorb more carbon, helping in mitigating air and water pollution.

5. Environmental Conservation:

  • Waste management: The project also helped in cleaning industrial waste and transforming polluted land into green spaces.
  • Sustainable development: The Miyawaki technique supports environmental conservation efforts in urban settings, making it a key strategy for tackling issues like pollution, soil degradation, and climate change.

Conclusion:

The use of the Miyawaki technique in Prayagraj is a step towards enhancing the city’s green spaces, improving air quality, and preparing for the Mahakumbh 2025 by ensuring a healthy and sustainable environment for the large influx of visitors. This project highlights the potential of urban reforestation and ecological restoration using innovative techniques to tackle environmental challenges.

मियावाकी तकनीक और प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियों में इसका कार्यान्वयन:

  1. प्रयागराज में घने जंगलों का निर्माण:
    • पिछले दो वर्षों में प्रयागराज में 56,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में घने जंगलों का निर्माण मियावाकी तकनीक का उपयोग करके किया गया है।
    • इस परियोजना का उद्देश्य महाकुंभ 2025 के लिए आने वाले लाखों भक्तों के लिए एक हरित और स्वस्थ वातावरण तैयार करना है।
    • प्रयागराज नगर निगम (PMC) ने शहर भर में 10 से अधिक स्थानों पर पेड़ लगाए हैं, जिससे कचरे के ढेर और बंजर भूमि को हरे-भरे जंगलों में बदल दिया गया है।
  2. मियावाकी तकनीक:
    • यह तकनीक जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गई थी, जिसका उद्देश्य छोटे शहरी क्षेत्रों में घने, स्थानीय वनस्पतियों से भरे जंगलों का निर्माण करना है।
    • मियावाकी विधि में पेड़ों और झाड़ियों को एक-दूसरे के करीब रोपने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिससे उनकी वृद्धि तेज़ होती है।
    • मुख्य लाभ:
      • पेड़ पारंपरिक रोपाई विधियों की तुलना में 10 गुना तेज़ी से बढ़ते हैं।
      • यह स्थानीय प्रजातियों का मिश्रण करके जैव विविधता वाले पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है।
      • यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार, वायु गुणवत्ता को बढ़ावा और कार्बन अवशोषण में मदद करता है।
      • यह पर्यावरणीय बहाली में मदद करता है, जैसे औद्योगिक कचरे का प्रबंधन, धूल और गंध को कम करना, और मृदा अपरदन को रोकना।
  3. प्रयागराज में कार्यान्वयन:
    • नैनी औद्योगिक क्षेत्र में 1.2 लाख पेड़ लगाए गए, जिससे यह सबसे बड़ा रोपण स्थल बन गया।
    • बसवर में लगभग 27,000 पेड़ लगाए गए ताकि शहर के सबसे बड़े कचरा डंपिंग यार्ड को हरे-भरे क्षेत्र में परिवर्तित किया जा सके। इसने कचरे के प्रबंधन में मदद की, धूल, गंदगी, और गंध को कम किया, और वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाया।
    • रोपित प्रजातियाँ:
      • फलदार पेड़ (आम, महुआ, नीम, आंवला, आदि)
      • औषधीय पौधे (तुलसी, ब्राह्मी, कदंब, आदि)
      • सजावटी पौधे (गुलमोहर, बोगनविलिया, चंपा, आदि)
      • अन्य: शीशम, बांस, महोगनी, सहजन, आदि
  4. मियावाकी जंगलों के लाभ:
    • तापमान नियंत्रण: ये जंगल गर्मी के मौसम में तापमान को 4 से 7 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकते हैं, दिन और रात के बीच तापमान अंतर को घटाते हैं।
    • जैव विविधता को बढ़ावा: विभिन्न प्रजातियों के वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं और जानवरों और पक्षियों के लिए आवास प्रदान करते हैं।
    • मिट्टी की उर्वरता में सुधार: मियावाकी जंगल मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं और मृदा अपरदन को रोकते हैं।
    • प्रदूषण में कमी: ये जंगल अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं, जिससे वायु और जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।
  5. पर्यावरणीय संरक्षण:
    • कचरा प्रबंधन: इस परियोजना ने औद्योगिक कचरे को साफ करने और प्रदूषित भूमि को हरे-भरे क्षेत्रों में बदलने में मदद की।
    • सतत विकास: मियावाकी तकनीक शहरी क्षेत्रों में पर्यावरणीय संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देती है, जिससे प्रदूषण, मृदा अपक्षय और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए यह एक महत्वपूर्ण रणनीति बन जाती है।

निष्कर्ष: प्रयागराज में मियावाकी तकनीक का उपयोग शहर के हरे-भरे क्षेत्रों को बढ़ावा देने, वायु गुणवत्ता को सुधारने, और महाकुंभ 2025 के लिए एक स्वस्थ और स्थायी वातावरण तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना शहरी वनरोपण और पारिस्थितिकी बहाली की क्षमता को उजागर करती है, जो पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए नवोन्मेषी तकनीकों का उपयोग कर रही है।


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