November 22, 2024
Judicial reform in India: Challenges & Way forwards
Responsive Judicial System:
Article published in Indian express: 22 Nov,2024
What are challenges that article highlights?
❖ Case Management Problems -Poor case-flow management systems
❖ Structural Issues – Limited resources and infrastructure
❖ Administrative Overload on Judges
Reforms Needed :
❖ Performance Metrics for Judges & positive reinforcemnet for performers (SC Centre for
research and planning)
❖ Empower supervisory authorities (High Courts) to oversee subordinate court performance
❖ Leveraging Technology – VC facility – Summoning etc
❖ Induction of Experts from Outside the Judiciary
What is Open review?
Open reviews involve a transparent and systematic examination of how cases are being managed and disposed of by lower courts. This can include:
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Case study: Cataract Blindness Project of the 1990s/
Steps Taken :
भारत में न्यायिक सुधार: चुनौतियाँ और आगे की राह
उत्तरदायी न्यायिक प्रणाली:
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख: 22 नवंबर, 2024
ठीक एक साल पहले, सुप्रीम कोर्ट के सेंटर फॉर रिसर्च एंड प्लानिंग (CRP) ने ‘स्टेट ऑफ द ज्यूडिशियरी’ नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के सुझावों को जगह मिली है।
लेख में किन चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है?
❖ केस प्रबंधन की समस्याएँ – केस-फ्लो प्रबंधन की खराब व्यवस्था
❖ संरचनात्मक मुद्दे – सीमित संसाधन और बुनियादी ढाँचा
❖ न्यायाधीशों पर प्रशासनिक बोझ
आवश्यक सुधार:
❖ न्यायाधीशों के लिए प्रदर्शन मीट्रिक और प्रदर्शन करने वालों के लिए सकारात्मक सुदृढ़ीकरण (अनुसंधान और योजना के लिए एससी केंद्र)
❖ अधीनस्थ न्यायालयों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए पर्यवेक्षी अधिकारियों (उच्च न्यायालयों) को सशक्त बनाना
❖ प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना – वीसी सुविधा – समन आदि
❖ न्यायपालिका के बाहर से विशेषज्ञों को शामिल करना
खुली समीक्षा क्या है?
खुली समीक्षा में निचली अदालतों द्वारा मामलों का प्रबंधन और निपटान कैसे किया जा रहा है, इसकी पारदर्शी और व्यवस्थित जांच शामिल है। इसमें शामिल हो सकते हैं: Ø न्यायाधीशों और न्यायालय कर्मचारियों का प्रदर्शन ऑडिट। Ø लंबित मामलों और देरी के कारणों की निगरानी करना। Ø केस प्रबंधन में प्रक्रियागत बाधाओं या अक्षमताओं की पहचान करना। Ø विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए जवाबदेही और निर्धारित समय-सीमा का पालन सुनिश्चित करना। |
केस स्टडी: 1990 के दशक की मोतियाबिंद अंधापन परियोजना/
उठाए गए कदम:
November 5, 2024
November 5, 2024
November 5, 2024
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