‘ग्रीन गोल्ड’ के संरक्षक – मुख्य तथ्य
कोंडा रेड्डी जनजाति का परिचय:
स्थान: आंध्र प्रदेश के गोदावरी घाटी क्षेत्र, विशेष रूप से अल्लूरी सीताराम राजू जिला।
जीवनशैली: कृषि, मछली पकड़ने और गैर-काष्ठ वन उत्पाद (NTFP) संग्रहण में संलग्न।
महत्व: कोंडा वेदुरु बांस का भोजन, वाद्य यंत्र और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उपयोग।
कोंडा वेदुरु बांस (डेंड्रोकेलामस स्ट्रिक्टस):
आवास: दक्षिण एशिया में पाया जाता है; भारत के बांस कवर क्षेत्र का 53%।
पोषण मूल्य:
- प्रोटीन: 2.60 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट: 6.17 ग्राम
- फाइबर: 2.26 ग्राम
- विटामिन्स: सी (2.43 मि.ग्रा), ई (0.58 मि.ग्रा)
- खनिज: कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन (2.19 मि.ग्रा)
उपयोग:
- मानसून और गर्मी के दौरान मुख्य भोजन।
- पारंपरिक और आधुनिक व्यंजनों में उपयोग।
- तंबाकू सुखाने और हस्तशिल्प में व्यावसायिक उपयोग।
सांस्कृतिक प्रथाएँ:
भोजन परंपरा:
- बांस की कोपलों को उबालकर मसालों के साथ पकाया जाता है या मछली, दाल, अनाज और मांस में मिलाया जाता है।
- आतिथ्य का प्रतीक; अतिथियों को सम्मान के रूप में परोसा जाता है।
- व्यंजन जनजाति के भीतर गुप्त रखे जाते हैं।
संरक्षण:
- बांस की कोपलों को सुखाकर ऑफ-सीजन के लिए संग्रहित किया जाता है।
- जुलाई-अगस्त की बारिश के दौरान व्यापक खोज।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव:
जीविका:
- साप्ताहिक जनजातीय बाजारों में बांस की कोपलों की बिक्री।
- जनजातीय बाजारों में ₹20 प्रति गट्ठा।
वाणिज्यिक उपक्रम:
- वर्जीनिया तंबाकू किसान संघ (VTFA) के साथ बांस की आपूर्ति के लिए साझेदारी।
- गर्मी सहनशीलता के कारण तंबाकू सुखाने में बांस का उपयोग।
पर्यावरणीय महत्व:
स्थिरता: प्राकृतिक वनों से NTFP अधिकारों के तहत संग्रहण।
जैव विविधता: गोदावरी घाटी में पारिस्थितिक संतुलन में योगदान।
स्वास्थ्य और पोस्ट-कोविड लोकप्रियता:
- महामारी के बाद बांस की पोषणीय लाभों के प्रति बढ़ती जागरूकता।
- गैर-जनजातीय लोगों द्वारा इसे नियमित शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों में अपनाया गया।
चुनौतियाँ:
- अवैध कटाई: बांस की स्थिरता को खतरा।
- मांग-आपूर्ति अंतर: कृषि और औद्योगिक उपयोग में बांस की उच्च मांग।
संरक्षण प्रयास:
वन विभाग की पहल:
- किसानों के साथ समझौते, बांस आपूर्ति को नियमित करने के लिए।
- अवैध कटाई को रोकने के प्रयास।
जनजातीय प्रथाएँ:
- सतत संग्रहण और सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण पर ध्यान।