Earth’s water cycle/ hydrological cycle/पृथ्वी का जल चक्र/हाइड्रोलॉजिकल चक्र:

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January 8, 2025

Earth’s water cycle/ hydrological cycle/पृथ्वी का जल चक्र/हाइड्रोलॉजिकल चक्र:

The Earth’s water cycle, also known as the hydrological cycle, describes the continuous movement of water within the Earth and its atmosphere. It involves various processes that circulate water through the oceans, atmosphere, land, and living organisms. This cycle plays a crucial role in regulating the Earth’s climate and sustaining life.

Key Processes of the Water Cycle:

  1. Evaporation:
    • Water from oceans, rivers, lakes, and soil is converted into water vapor by solar energy.
    • This process cools the surface and transfers heat to the atmosphere.
  2. Transpiration:
    • Plants release water vapor into the atmosphere through their leaves during photosynthesis.
    • Together, evaporation and transpiration are called evapotranspiration.
  3. Sublimation:
    • Water changes directly from solid (ice or snow) to vapor without passing through the liquid phase.
    • Occurs in cold, arid regions.
  4. Condensation:
    • Water vapor in the atmosphere cools and transforms into tiny droplets, forming clouds.
    • This process releases latent heat, influencing weather patterns.
  5. Precipitation:
    • Water droplets in clouds combine and fall to the Earth’s surface as rain, snow, sleet, or hail.
    • Precipitation replenishes water in rivers, lakes, and aquifers.
  6. Runoff:
    • Water flows over the land surface into rivers, lakes, and eventually the oceans.
    • Runoff also carries nutrients and sediments, shaping the Earth’s surface.
  7. Infiltration:
    • Part of the precipitation soaks into the soil, replenishing groundwater reserves.
    • This water becomes part of aquifers and can later emerge as springs or wells.
  8. Groundwater Flow:
    • Water moves through underground aquifers and can return to the surface through springs or seep into water bodies.

Reservoirs in the Water Cycle:

  1. Oceans: Largest reservoir, containing about 97% of Earth’s water.
  2. Atmosphere: Holds water vapor that drives weather and climate systems.
  3. Ice Caps and Glaciers: Store freshwater, primarily in polar regions and mountain glaciers.
  4. Groundwater: Second-largest source of freshwater after glaciers.
  5. Lakes, Rivers, and Wetlands: Serve as immediate water sources for ecosystems and humans.
  6. Biosphere: Includes water within plants, animals, and microorganisms.

Importance of the Water Cycle:

  • Climate Regulation: Helps distribute heat across the planet.
  • Ecosystem Support: Provides water for plants and animals.
  • Agriculture: Supplies water for crops through precipitation and irrigation.
  • Hydropower: Drives renewable energy production.
  • Freshwater Supply: Recharges aquifers and maintains water availability.

Human Impact on the Water Cycle:

  1. Deforestation: Reduces transpiration and alters local weather patterns.
  2. Urbanization: Increases runoff and reduces infiltration due to impervious surfaces.
  3. Climate Change: Accelerates evaporation, alters precipitation patterns, and melts glaciers.
  4. Overuse of Groundwater: Depletes aquifers faster than they can be replenished.

In summary, the Earth’s water cycle is a dynamic system that interconnects various components of the environment, making it essential for sustaining life and maintaining planetary balance.

पृथ्वी का जल चक्र/हाइड्रोलॉजिकल चक्र:

पृथ्वी का जल चक्र, जिसे हाइड्रोलॉजिकल चक्र भी कहा जाता है, पृथ्वी और उसके वातावरण में पानी की निरंतर गति का वर्णन करता है। यह विभिन्न प्रक्रियाओं को शामिल करता है, जो महासागरों, वातावरण, भूमि और जीवित प्राणियों के माध्यम से पानी का संचलन करती हैं। यह चक्र पृथ्वी की जलवायु को विनियमित करने और जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जल चक्र की प्रमुख प्रक्रियाएँ:

वाष्पीकरण (Evaporation):

  • महासागरों, नदियों, झीलों और मिट्टी से सूर्य की ऊर्जा द्वारा पानी वाष्प में बदल जाता है।
  • यह प्रक्रिया सतह को ठंडा करती है और गर्मी को वातावरण में स्थानांतरित करती है।

वाष्पोत्सर्जन (Transpiration):

  • पौधे अपने पत्तों के माध्यम से वाष्प के रूप में पानी को वातावरण में छोड़ते हैं।
  • वाष्पीकरण और वाष्पोत्सर्जन को संयुक्त रूप से वाष्पीकरण-उत्सर्जन (Evapotranspiration) कहा जाता है।

उर्ध्वपातन (Sublimation):

  • पानी सीधे ठोस (बर्फ या हिम) से वाष्प में बदल जाता है, बिना तरल अवस्था से गुजरे।
  • यह प्रक्रिया ठंडे और शुष्क क्षेत्रों में होती है।

संघनन (Condensation):

  • वातावरण में पानी की वाष्प ठंडी होकर छोटे बूंदों में बदल जाती है और बादल बनाती है।
  • यह प्रक्रिया गुप्त ऊष्मा (latent heat) छोड़ती है, जो मौसम के पैटर्न को प्रभावित करती है।

वर्षा (Precipitation):

  • बादलों में जल बूंदें मिलकर वर्षा, हिमपात, ओले या बर्फ के रूप में पृथ्वी की सतह पर गिरती हैं।
  • वर्षा नदियों, झीलों और भूजल को फिर से भरती है।

अपवाह (Runoff):

  • पानी भूमि की सतह पर बहकर नदियों, झीलों और अंततः महासागरों में चला जाता है।
  • अपवाह पोषक तत्वों और तलछट को भी ले जाता है, जिससे पृथ्वी की सतह का निर्माण होता है।

अवशोषण (Infiltration):

  • वर्षा का एक हिस्सा मिट्टी में समा जाता है, जिससे भूजल भंडार फिर से भरते हैं।
  • यह पानी एक्वीफर (जलभृत) का हिस्सा बन जाता है और बाद में झरनों या कुओं के रूप में बाहर निकल सकता है।

भूजल प्रवाह (Groundwater Flow):

  • पानी भूमिगत एक्वीफर से बहता है और झरनों के माध्यम से सतह पर लौट सकता है या जल निकायों में जा सकता है।

जल चक्र के प्रमुख भंडार:

  1. महासागर: पृथ्वी के कुल पानी का लगभग 97% महासागरों में है।
  2. वायुमंडल: पानी की वाष्प को संजोता है जो मौसम और जलवायु प्रणालियों को चलाती है।
  3. हिमखंड और ग्लेशियर: मुख्यतः ध्रुवीय क्षेत्रों और पहाड़ी ग्लेशियरों में ताजे पानी को संग्रहीत करते हैं।
  4. भूजल: ग्लेशियरों के बाद ताजे पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत।
  5. झीलें, नदियाँ, और आर्द्रभूमि: पारिस्थितिक तंत्र और मानवों के लिए तत्काल जल स्रोत।
  6. जैवमंडल: पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों के भीतर पानी शामिल है।

जल चक्र का महत्व:

  • जलवायु विनियमन: ग्रह पर गर्मी को वितरित करने में मदद करता है।
  • पारिस्थितिक समर्थन: पौधों और जानवरों के लिए पानी प्रदान करता है।
  • कृषि: फसलों के लिए वर्षा और सिंचाई के माध्यम से पानी की आपूर्ति करता है।
  • जलविद्युत: नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को चलाता है।
  • ताजे पानी की आपूर्ति: एक्वीफर को पुनः भरता है और पानी की उपलब्धता बनाए रखता है।

मानव प्रभाव:

  1. वनीकरण: वाष्पोत्सर्जन को कम करता है और स्थानीय मौसम पैटर्न को बदलता है।
  2. शहरीकरण: अपवाह बढ़ाता है और अवशोषण को कम करता है।
  3. जलवायु परिवर्तन: वाष्पीकरण को तेज करता है, वर्षा के पैटर्न को बदलता है और ग्लेशियरों को पिघलाता है।
  4. भूजल का अति उपयोग: एक्वीफर को उनकी पुनः पूर्ति की तुलना में तेजी से समाप्त करता है।

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