Why in News? NITI Aayog has published its first Fiscal Health Index (FHI) report.
Purpose: Assess the fiscal health of 18 major Indian States based on their contribution to GDP, demography, public expenditure, revenues, and fiscal stability.
- Time Period Covered: Rankings based on performance for FY 2022-23 and trends from 2014-15 to 2021-22.
- Released By: NITI Aayog, chaired by Arvind Panagariya (16th Finance Commission Chairman).
Top Performers:
Top State: Odisha with the highest index score of 67.8.
Other Achievers: Chhattisgarh, Goa, Jharkhand (classified as “Achievers”).
Characteristics:
Capital outlay: Up to 4% of GSDP.
Non-tax revenue mobilisation: Effective.
Revenue surplus: Consistently maintained.
Low interest payments: Up to 7% of revenue receipts.
Front-Runners:
- States: Maharashtra, Uttar Pradesh, Telangana, Madhya Pradesh, Karnataka.
Characteristics:
- Developmental expenditure: High, up to 73%.
- Own tax revenue: Witnessed consistent growth.
- Debt sustainability: Improved, with a debt-to-GSDP ratio of 24%.
- Fiscal management:
Worst Performers (Aspirational States):
- States: Punjab, Andhra Pradesh, West Bengal, Kerala.
- Challenges:
- Fiscal deficit targets: Not being met.
- Revenue mobilisation:
- Debt burden:
- Debt sustainability: A major concern.
Detailed Analysis of Odisha:
- Debt Index Score: 99.0 (highest).
- Debt Sustainability Score: 64.0.
- Strengths:
- Maintains low fiscal deficits.
- Good debt profile.
- High capital outlay-to-GSDP ratio.
Key Challenges for Poor Performers:
- Kerala and Punjab: Low quality of expenditure and poor debt sustainability.
- West Bengal: Struggles with revenue mobilisation and debt index issues.
- Andhra Pradesh: High fiscal deficit.
- Haryana: Poor debt profile.
Historical Performance (2014-15 to 2021-22):
- Top Average FHI Scores: Odisha, Goa, Karnataka, Maharashtra, and Chhattisgarh.
- Data Source: Comptroller and Auditor General (CAG) reports.
Implications and Goals:
- Objective: Foster fiscal stability, improve expenditure quality, enhance revenue mobilisation, and ensure sustainable debt levels across Indian States.
- Policy Recommendations: Tailored fiscal reforms for underperforming States, focus on sustainable debt management, and revenue enhancements.
नीति आयोग की वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) रिपोर्ट 2025:
चर्चा में क्यों ? नीति आयोग ने अपनी पहली वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) रिपोर्ट प्रकाशित की।
उद्देश्य: भारत के जीडीपी, जनसांख्यिकी, सार्वजनिक व्यय, राजस्व, और वित्तीय स्थिरता में योगदान के आधार पर 18 प्रमुख राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य का आकलन।
- समयावधि: FY 2022-23 के प्रदर्शन और 2014-15 से 2021-22 के रुझानों पर आधारित।
- जारीकर्ता: नीति आयोग, अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया (16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष)।
शीर्ष प्रदर्शनकर्ता:
शीर्ष राज्य: ओडिशा, उच्चतम सूचकांक स्कोर 67.8।
अन्य अग्रणी राज्य: छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड (इन राज्यों को “उपलब्धि हासिल करने वाले” श्रेणी में रखा गया)।
विशेषताएं:
- पूंजीगत व्यय: GSDP का 4% तक।
- गैर-कर राजस्व संग्रहण: प्रभावी।
- राजस्व अधिशेष: लगातार बनाए रखा।
- ब्याज भुगतान: राजस्व प्राप्तियों का 7% तक।
फ्रंट-रनर्स (अग्रणी राज्य):
राज्य: महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक।
विशेषताएं:
- विकासात्मक व्यय: उच्च, 73% तक।
- स्वयं का कर राजस्व: निरंतर वृद्धि।
- ऋण स्थिरता: सुधार, ऋण-से-GSDP अनुपात 24%।
- वित्तीय प्रबंधन: संतुलित।
सबसे खराब प्रदर्शनकर्ता (आकांक्षी राज्य):
राज्य: पंजाब, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल।
चुनौतियां:
- वित्तीय घाटे के लक्ष्य: पूरा नहीं हो रहे।
- राजस्व संग्रहण: कम।
- ऋण भार: बढ़ रहा है।
- ऋण स्थिरता: प्रमुख चिंता।
ओडिशा का विस्तृत विश्लेषण:
- ऋण सूचकांक स्कोर: 99.0 (सबसे अधिक)।
- ऋण स्थिरता स्कोर: 64.0।
मजबूत पक्ष:
- निम्न वित्तीय घाटे।
- अच्छा ऋण प्रोफाइल।
- उच्च पूंजीगत व्यय-से-GSDP अनुपात।
कमजोर प्रदर्शनकर्ताओं की प्रमुख चुनौतियां:
- केरल और पंजाब: कम व्यय गुणवत्ता और कमजोर ऋण स्थिरता।
- पश्चिम बंगाल: राजस्व संग्रहण और ऋण सूचकांक में समस्याएं।
- आंध्र प्रदेश: उच्च वित्तीय घाटा।
- हरियाणा: खराब ऋण प्रोफाइल।
ऐतिहासिक प्रदर्शन (2014-15 से 2021-22):
- उच्चतम औसत FHI स्कोर: ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, और छत्तीसगढ़।
- डेटा स्रोत: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट।
प्रभाव और लक्ष्य:
- उद्देश्य: वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना, व्यय की गुणवत्ता में सुधार करना, राजस्व संग्रहण को बढ़ाना, और भारतीय राज्यों में टिकाऊ ऋण स्तर बनाए रखना।
- नीतिगत सिफारिशें:
- कमजोर प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए विशेष वित्तीय सुधार।
- टिकाऊ ऋण प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना।
- राजस्व वृद्धि के उपाय अपनाना।