Neutral Expert Decision on Kishenganga and Ratle Hydroelectric Projects/किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर न्यूट्रल एक्सपर्ट का निर्णय:

Home   »  Neutral Expert Decision on Kishenganga and Ratle Hydroelectric Projects/किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर न्यूट्रल एक्सपर्ट का निर्णय:

January 22, 2025

Neutral Expert Decision on Kishenganga and Ratle Hydroelectric Projects/किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर न्यूट्रल एक्सपर्ट का निर्णय:

Why in news ? A World Bank-appointed neutral expert has backed New Delhi’s position on the framework to resolve certain disputes between India and Pakistan on Kishenganga and Ratle hydroelectric projects.

Background on Indus Waters Treaty (IWT):

  • Signed in 1960: Ensures equitable distribution of water between India and Pakistan.
  • River Allocation:
  • India: Unrestricted access to Eastern Rivers (Sutlej, Beas, Ravi).
  • Pakistan: Exclusive rights to Western Rivers (Indus, Jhelum, Chenab).
  • Dispute Resolution Mechanism: Article IX provides a graded system involving bilateral discussions, Neutral Expert, or Court of Arbitration.

India’s Projects and Pakistan’s Objections:

  • Kishenganga Project: Located on Kishenganga River (Jhelum tributary).
  • Ratle Project: Situated on Chenab River.
  • Objections by Pakistan: Cited technical issues with dam design and compliance with treaty provisions.

Neutral Expert’s Decision:

  • India’s Stand Vindicated: Neutral Expert affirmed competence to address seven differences concerning Kishenganga and Ratle projects.
  • Compliance with IWT: Upheld that Neutral Expert is the appropriate forum for resolving differences under Paragraph 7 of Annexure F.

India’s Position:

  • Commitment to Treaty: India remains committed to preserving the sanctity and integrity of the IWT.
  • Rejection of Parallel Proceedings: India does not recognize the Pakistan-backed Court of Arbitration as it contravenes the treaty provisions.
  • Proactive Engagement: India continues to participate in Neutral Expert proceedings to ensure disputes are resolved within the treaty framework.

Pakistan’s Actions:

  • Court of Arbitration Demand: Pakistan unilaterally withdrew its request for a Neutral Expert in 2016 and sought adjudication through the Court of Arbitration.
  • Violation of IWT Mechanism: This action disregarded the treaty’s prescribed resolution hierarchy.

Recent Developments:

  • January 20, 2025: Neutral Expert affirmed competence to address technical differences.
  • India’s Notice to Pakistan:
  • August 2024: India sought a review of IWT under Article XII (3).
  • January 2023: India called for treaty modification to address emerging challenges.

Significance of the Decision:

  • Recognition of India’s Position: Ensures disputes are resolved within treaty provisions without external influence.
  • Strengthened Governance: Sets a precedent for adhering to graded mechanisms under IWT.
  • Focus on Development: Allows India to proceed with hydroelectric projects vital for energy generation while respecting treaty obligations.

 About Permanent Court of Arbitration (PCA) :

The Permanent Court of Arbitration (PCA) is an intergovernmental organization established to provide a forum for resolving disputes between states, state entities, intergovernmental organizations, and private parties. It is one of the oldest institutions for international dispute resolution, headquartered in The Hague, Netherlands.

Key Features of the PCA:

Establishment:

  • Founded in 1899 at the First Hague Peace Conference, which was convened to promote international arbitration and peaceful resolution of disputes.
  • Governed by the 1899 Hague Convention for the Pacific Settlement of International Disputes, revised in 1907.
  • Jurisdiction:
  • Handles a wide range of disputes, including those related to international law, sovereignty, territorial boundaries, maritime disputes, environmental issues, and investments.
  • Membership:
  • Open to all states. Currently, it has 122 member states, including India and Pakistan.
  • Member states are parties to one or both Hague Conventions of 1899 and 1907.
  • Structure:
  • Administrative Council: Supervises the PCA’s administration and budget.
  • International Bureau: Provides administrative support for arbitrations.
  • Panel of Arbitrators: Each member state nominates up to four arbitrators to the panel.
  • Flexible Dispute Resolution Mechanisms:
  • Offers arbitration, mediation, conciliation, and fact-finding for dispute resolution.
  • Parties can choose the rules, laws, and arbitrators that apply to their case.
  • Facilities and Services:
  • PCA provides infrastructure and legal expertise for resolving disputes.
  • Located in the Peace Palace in The Hague, which is also home to the International Court of Justice (ICJ).

Comparison with Other Bodies:

  1. PCA vs. ICJ
  • PCA: Focuses on arbitration and caters to a broader range of parties, including non-state actors.
  • ICJ: Only hears disputes between sovereign states and issues binding judgments.
  1. PCA vs. ICSID (International Centre for Settlement of Investment Disputes)
  • PCA handles disputes beyond investment cases, such as territorial and environmental issues.
  • ICSID focuses exclusively on investment disputes under the World Bank framework.

Significance of PCA in International Law:

  1. Promotion of Peaceful Dispute Resolution: Provides a neutral and flexible platform for settling disputes through peaceful means.
  2. Customizable Arbitration: Parties can tailor proceedings to their specific needs, unlike rigid court-based mechanisms.
  3. Precedent Setting: PCA rulings and awards contribute to the development of international law.
  4. Environment and Human Rights: Increasingly addresses disputes involving environmental protection and human rights.

Examples of Cases Handled by PCA:

  1. South China Sea Arbitration (Philippines vs. China): Resolved maritime disputes in the South China Sea (2016).
  2. India vs. Pakistan (Indus Waters Treaty): Addressing technical differences on Kishenganga and Ratle hydroelectric projects.
  3. Bangladesh vs. India: Resolved a maritime boundary dispute in the Bay of Bengal (2014).

किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर न्यूट्रल एक्सपर्ट का निर्णय: मुख्य बिंदु

सिंधु जल संधि (IWT) का पृष्ठभूमि:

  • 1960 में हस्ताक्षरित: भारत और पाकिस्तान के बीच जल के समान वितरण को सुनिश्चित करता है।
  • नदियों का आवंटन:

भारत: पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) पर पूर्ण अधिकार।

पाकिस्तान: पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर विशेष अधिकार।

  • विवाद समाधान तंत्र: अनुच्छेद IX द्विपक्षीय चर्चाओं, न्यूट्रल एक्सपर्ट, या पंचाट न्यायालय के माध्यम से समाधान का प्रावधान करता है।

भारत की परियोजनाएँ और पाकिस्तान की आपत्तियाँ:

  • किशनगंगा परियोजना: झेलम की सहायक नदी किशनगंगा पर स्थित।
  • राटले परियोजना: चिनाब नदी पर आधारित।
  • पाकिस्तान की आपत्ति: बांध डिज़ाइन और संधि प्रावधानों के अनुपालन पर तकनीकी मुद्दे उठाए।

न्यूट्रल एक्सपर्ट का निर्णय:

  • भारत का पक्ष सही ठहराया: न्यूट्रल एक्सपर्ट ने किशनगंगा और राटले परियोजनाओं से संबंधित सात तकनीकी अंतर को संबोधित करने की योग्यता स्वीकार की।
  • IWT के अनुसार निर्णय: न्यूट्रल एक्सपर्ट को संधि के परिशिष्ट F के अनुच्छेद 7 के तहत विवादों को हल करने का उपयुक्त मंच माना गया।

भारत का रुख:

  • संधि के प्रति प्रतिबद्धता: भारत सिंधु जल संधि की पवित्रता और अखंडता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • पैरलल कार्यवाही का विरोध: भारत पाकिस्तान-समर्थित पंचाट न्यायालय को मान्यता नहीं देता क्योंकि यह संधि प्रावधानों के खिलाफ है।
  • सक्रिय भागीदारी: भारत न्यूट्रल एक्सपर्ट की प्रक्रिया में भाग लेता रहेगा ताकि विवाद संधि ढांचे के भीतर हल हो सकें।

पाकिस्तान की कार्रवाई:

  • पंचाट न्यायालय की मांग: पाकिस्तान ने 2016 में न्यूट्रल एक्सपर्ट की मांग वापस लेकर पंचाट न्यायालय से निर्णय लेने की मांग की।
  • संधि तंत्र का उल्लंघन: यह कार्रवाई संधि के निर्धारित समाधान प्रक्रिया को नजरअंदाज करती है।

हाल के विकास:

  • 20 जनवरी 2025: न्यूट्रल एक्सपर्ट ने तकनीकी विवादों को सुलझाने की योग्यता की पुष्टि की।
  • भारत द्वारा नोटिस:
    • अगस्त 2024: भारत ने अनुच्छेद XII (3) के तहत संधि की समीक्षा के लिए नोटिस जारी किया।
    • जनवरी 2023: भारत ने उभरती चुनौतियों को देखते हुए संधि संशोधन की मांग की।

निर्णय का महत्व:

  • भारत के पक्ष की मान्यता: सुनिश्चित करता है कि विवाद संधि प्रावधानों के भीतर और बाहरी प्रभाव से मुक्त तरीके से हल हों।
  • सुदृढ़ शासन: IWT के तहत निर्धारित तंत्र के पालन की मिसाल स्थापित करता है।
  • विकास पर ध्यान: भारत को ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं को संधि का पालन करते हुए जारी रखने की अनुमति देता है।

स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) :

स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration – PCA) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो राज्यों, राज्य संस्थाओं, अंतर-सरकारी संगठनों और निजी पक्षों के बीच विवादों के समाधान के लिए मंच प्रदान करता है। यह अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान का सबसे पुराना संस्थान है और इसका मुख्यालय द हेग, नीदरलैंड्स में है।

PCA की मुख्य विशेषताएँ:

स्थापना:

  • 1899 में प्रथम हेग शांति सम्मेलन के दौरान स्थापित, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना था।
  • 1899 के ‘पैसिफिक सेटलमेंट ऑफ इंटरनेशनल डिस्प्यूट्स’ के हेग सम्मेलन द्वारा शासित, जिसे 1907 में संशोधित किया गया।

क्षेत्राधिकार:

  • यह अंतरराष्ट्रीय कानून, संप्रभुता, क्षेत्रीय सीमाओं, समुद्री विवादों, पर्यावरणीय मुद्दों और निवेश विवादों से संबंधित मामलों को संभालता है।

सदस्यता:

  • सभी देशों के लिए खुला। वर्तमान में इसमें 122 सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें भारत और पाकिस्तान भी हैं।
  • सदस्य देश 1899 और 1907 के हेग सम्मेलन में से किसी एक या दोनों के पक्षकार होते हैं।

संरचना:

  • प्रशासनिक परिषद: PCA के प्रशासन और बजट की निगरानी करती है।
  • अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो: मध्यस्थता के लिए प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है।
  • मध्यस्थों का पैनल: प्रत्येक सदस्य देश पैनल के लिए चार मध्यस्थ नामांकित करता है।

लचीले विवाद समाधान तंत्र:

  • मध्यस्थता, सुलह, समाधान, और तथ्य-खोज जैसे तंत्र प्रदान करता है।
  • पक्षकार मामले के लिए लागू नियम, कानून और मध्यस्थ चुन सकते हैं।

सुविधाएँ और सेवाएँ:

  • PCA विवाद समाधान के लिए बुनियादी ढाँचा और कानूनी विशेषज्ञता प्रदान करता है।
  • यह द हेग के पीस पैलेस में स्थित है, जो अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का भी मुख्यालय है।

अन्य संस्थानों के साथ तुलना:

PCA बनाम ICJ:

  • PCA: मध्यस्थता पर केंद्रित और गैर-राज्य पक्षकारों सहित व्यापक समूह को सेवाएँ प्रदान करता है।
  • ICJ: केवल संप्रभु देशों के बीच विवाद सुनता है और बाध्यकारी निर्णय जारी करता है।

PCA बनाम ICSID (इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटलमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट डिस्प्यूट्स)

  • PCA निवेश मामलों के अलावा क्षेत्रीय और पर्यावरणीय मुद्दों जैसे विवादों को संभालता है।
  • ICSID वर्ल्ड बैंक ढांचे के तहत विशेष रूप से निवेश विवादों पर ध्यान केंद्रित करता है।

अंतरराष्ट्रीय कानून में PCA का महत्व:

  • शांतिपूर्ण विवाद समाधान को बढ़ावा: शांतिपूर्ण तरीकों से विवाद सुलझाने के लिए एक तटस्थ और लचीला मंच प्रदान करता है।
  • कस्टमाइजेबल मध्यस्थता: पक्षकार अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कार्यवाही को अनुकूलित कर सकते हैं।
  • नजीर स्थापित करना: PCA के निर्णय और पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास में योगदान करते हैं।
  • पर्यावरण और मानवाधिकार: पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकारों से जुड़े विवादों को संबोधित करता है।

PCA द्वारा हल किए गए प्रमुख मामले:

  1. दक्षिण चीन सागर विवाद (फिलीपींस बनाम चीन): दक्षिण चीन सागर में समुद्री विवादों का समाधान (2016)।
  2. भारत बनाम पाकिस्तान (सिंधु जल संधि): किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं पर तकनीकी मतभेदों का समाधान।
  3. बांग्लादेश बनाम भारत: बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा विवाद का समाधान (2014)।


Get In Touch

B-36, Sector-C, Aliganj – Near Aliganj, Post Office Lucknow – 226024 (U.P.) India

vaidsicslucknow1@gmail.com

+91 8858209990, +91 9415011892

Newsletter

Subscribe now for latest updates.

Follow Us

© www.vaidicslucknow.com. All Rights Reserved.

Neutral Expert Decision on Kishenganga and Ratle Hydroelectric Projects/किशनगंगा और राटले जलविद्युत परियोजनाओं पर न्यूट्रल एक्सपर्ट का निर्णय: | Vaid ICS Institute