7 Imperatives to Build a Viksit Agri Economy by 2047/2047 तक विकसित कृषि अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 7 अनिवार्य कदम:

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January 21, 2025

7 Imperatives to Build a Viksit Agri Economy by 2047/2047 तक विकसित कृषि अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 7 अनिवार्य कदम:

7 Imperatives to Build a Viksit Agri Economy by 2047

1. Leveraging AI in Agriculture:

  • India is exploring AI for weather forecasting, pest control, and crop yield optimization, but adoption remains limited to a small subset of tech-savvy farmers.
  • Global Example: Generative AI in the US and Europe provides precision farming at scale with real-time agronomic insights.
  • Way Forward: Develop vernacular AI platforms for smallholder farmers, partner with AgTechs for affordable AI solutions, and integrate AI advisory services into government programs.

2. Promoting Regenerative Farming Practices:

  • Practices like organic farming and zero-budget natural farming exist in pockets, while excessive chemical use dominates, leading to soil degradation.
  • Global Example: France and the US lead in regenerative agriculture through structured policies, farmer incentives, and R&D.
  • Way Forward: Establish a national regenerative farming policy and encourage private sector-led R&D for cost-effective agro-ecology practices.

3. Boosting Robotics and Automation:

  • Adoption is limited due to high costs and abundant rural labor. Basic tools like seeders and sprayers are more common, while robotic harvesters remain inaccessible.
  • Way Forward: Develop low-cost robotics tailored for small farms, establish AgTech hubs for testing and deployment, and promote public-private partnerships to scale innovation.

4. Scaling Alternative Protein Market:

  • India’s alternative protein sector is nascent, driven by startups, but faces affordability and scalability challenges.
  • Global Example: The EU leads in alternative proteins through government-backed initiatives and advanced R&D.
  • Way Forward: Collaborate with global leaders to improve production and formulation techniques and raise public awareness about lab-grown proteins.

5. Advancing Digital Twin Technology:

  • Field trials in India are manual and costly, delaying the deployment of crop technologies.
  • Global Example: The US uses digital twins to model field trials virtually, reducing costs and speeding up launches.
  • Way Forward: Partner with AgTechs to pilot digital twin projects, train researchers in digital modeling, and explore tax incentives for investing in these solutions.

6. Scaling Blockchain in Agriculture:

  • Blockchain adoption is experimental, with pilot projects focused on food traceability. Lack of infrastructure and awareness hinder progress.
  • Global Example: China integrates blockchain across agricultural supply chains, ensuring transparency, reducing fraud, and improving market access.
  • Way Forward: Focus on export crops to scale blockchain, improving price realization for farmers.

7. Expanding Climate-Smart Farming Techniques:

  • Existing initiatives like PM-KUSUM promote renewable energy for irrigation, but large-scale adoption of climate-smart methods is limited.
  • Way Forward: Scale up micro-irrigation technologies, invest in climate-resilient seed varieties and bio-based crop protection products, and use AI to develop localized climate advisory systems.

Conclusion:

India must embrace innovation, foster public-private collaborations, and tailor global best practices to its unique agri context. Strategic investments, policy reforms, and grassroots engagement are essential to modernize Indian agriculture and ensure smallholder farmers benefit from a sustainable, technologically advanced future.

2047 तक विकसित कृषि अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 7 अनिवार्य कदम:

1. कृषि में AI का उपयोग :

भारत मौसम पूर्वानुमान, कीट नियंत्रण और फसल उत्पादन अनुकूलन जैसे मामलों में AI का उपयोग कर रहा है, लेकिन इसका दायरा अभी तक सीमित है।
वैश्विक उदाहरण: अमेरिका और यूरोप में जनरेटिव AI वास्तविक समय में सटीक कृषि जानकारी प्रदान करता है।
आगे का रास्ता:

  • छोटे किसानों के लिए स्थानीय भाषाओं में AI प्लेटफॉर्म विकसित करना।
  • सस्ते AI समाधान तैयार करने के लिए AgTech कंपनियों के साथ साझेदारी।
  • सरकारी योजनाओं के माध्यम से AI आधारित सलाह सेवाएं प्रदान करना।

2. पुनर्योजी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना :

भारत में जैविक खेती और प्राकृतिक खेती जैसे पुनर्योजी कृषि पद्धतियां सीमित क्षेत्रों में प्रचलित हैं, जबकि रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग भूमि को नुकसान पहुंचा रहा है।
वैश्विक उदाहरण: फ्रांस और अमेरिका पुनर्योजी कृषि में संरचित नीतियों और किसान प्रोत्साहनों के माध्यम से अग्रणी हैं।
आगे का रास्ता:

  • एक राष्ट्रीय पुनर्योजी कृषि नीति लागू करना।
  • लागत प्रभावी कृषि-पर्यावरण पद्धतियों के लिए निजी क्षेत्र से R&D को प्रोत्साहित करना।

3. रोबोटिक्स और स्वचालन को बढ़ावा देना:

भारत में उच्च लागत और ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों की उपलब्धता के कारण रोबोटिक्स का उपयोग सीमित है।
आगे का रास्ता:

  • छोटे खेतों के लिए सस्ते रोबोटिक समाधान तैयार करना।
  • परीक्षण और तैनाती के लिए AgTech हब स्थापित करना।
  • सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से रोबोटिक्स नवाचार को बढ़ावा देना।

4. वैकल्पिक प्रोटीन बाजार का विस्तार:

भारत में वैकल्पिक प्रोटीन बाजार अभी प्रारंभिक अवस्था में है और मुख्य रूप से स्टार्टअप द्वारा संचालित है।
वैश्विक उदाहरण: यूरोपीय संघ सरकारी पहल और अत्याधुनिक R&D के माध्यम से वैकल्पिक प्रोटीन में अग्रणी है।
आगे का रास्ता:

  • वैश्विक विशेषज्ञों के साथ साझेदारी कर उत्पादन और फॉर्मुलेशन तकनीकों में सुधार करना।
  • लैब में बने प्रोटीन के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।

5. डिजिटल ट्विन तकनीक को अपनाना:

भारत में फील्ड परीक्षण मैनुअल और महंगे हैं, जिससे फसल तकनीकों की तैनाती में देरी होती है।
वैश्विक उदाहरण: अमेरिका फील्ड परीक्षणों को वर्चुअली मॉडल करने के लिए डिजिटल ट्विन तकनीक का उपयोग करता है।
आगे का रास्ता:

  • AgTech कंपनियों के साथ पायलट प्रोजेक्ट शुरू करना।
  • शोधकर्ताओं को डिजिटल मॉडलिंग में प्रशिक्षित करना।
  • डिजिटल ट्विन समाधान में निवेश के लिए कर प्रोत्साहन देना।

6. कृषि में ब्लॉकचेन को बढ़ावा देना:

भारत में ब्लॉकचेन अभी परीक्षण चरण में है, जिसमें खाद्य ट्रेसबिलिटी पर ध्यान केंद्रित है।
वैश्विक उदाहरण: चीन ने ब्लॉकचेन को अपनी कृषि आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत किया है।
आगे का रास्ता:

  • निर्यात फसलों पर ध्यान केंद्रित करके ब्लॉकचेन को बढ़ावा देना।
  • किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करना।

7. जलवायु-स्मार्ट कृषि तकनीकों का विस्तार:

PM-कुसुम जैसी योजनाएं सिंचाई के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देती हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर जलवायु-स्मार्ट विधियां सीमित हैं।
आगे का रास्ता:

  • सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों का विस्तार करना।
  • जलवायु-प्रतिरोधी बीज किस्मों और जैव आधारित फसल संरक्षण उत्पादों में निवेश करना।
  • स्थानीय जलवायु सलाह प्रणाली विकसित करने के लिए AI का उपयोग करना।

निष्कर्ष:

भारत को नवाचार अपनाने, सार्वजनिक-निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपने कृषि संदर्भ में अनुकूलित करने की आवश्यकता है। रणनीतिक निवेश, नीति सुधार, और जमीनी स्तर की भागीदारी से भारतीय कृषि को आधुनिक बनाया जा सकता है और छोटे किसानों को एक टिकाऊ, तकनीकी रूप से उन्नत भविष्य में शामिल किया जा सकता है।


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