Variable Rate Repo (VRR):/परिवर्तनीय दर रेपो (VRR):

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January 16, 2025

Variable Rate Repo (VRR):/परिवर्तनीय दर रेपो (VRR):

 Why in news ?  In a first, the Reserve Bank of India (RBI) has announced that it will conduct daily variable rate repo (VRR) auctions on all working days in Mumbai, until further notice.

  • The liquidity deficit in the banking system has exceeded Rs 2 trillion in the past few days.
  • According to the latest data, the liquidity deficit in the banking system was Rs 2.09 trillion on Tuesday, while on Monday it was Rs 5 trillion.

The Variable Rate Repo (VRR) is a monetary policy tool used by central banks, including the Reserve Bank of India (RBI), to manage liquidity in the banking system and control short-term interest rates. It is a variant of the repo rate, with a key difference being that in VRR, the rate at which funds are borrowed is not fixed, but variable. Here’s a breakdown of its key features:

Definition of Repo and VRR:

  • A repo (repurchase agreement) is a financial transaction where the central bank provides funds to commercial banks or financial institutions against government securities as collateral. The bank agrees to repurchase these securities at a later date, typically at a higher price, which includes interest.
  • In a Variable Rate Repo (VRR), the interest rate (also known as the repo rate) is not predetermined but is instead determined through a competitive bidding process. The rate fluctuates based on the bids submitted by participating banks.

परिवर्तनीय दर रेपो (VRR):

चर्चा में क्यों ?  पहली बार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने घोषणा की है कि वह अगली सूचना तक मुंबई में सभी कार्य दिवसों पर दैनिक परिवर्तनीय दर रेपो (VRR) नीलामी आयोजित करेगा।

  • पिछले कुछ दिनों में बैंकिंग प्रणाली में तरलता घाटा 2 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो गया है।
  • नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को बैंकिंग प्रणाली में तरलता घाटा 2.09 ट्रिलियन रुपये था, जबकि सोमवार को यह 2.5 ट्रिलियन रुपये था।

वेरिएबल रेट रेपो (VRR) एक मौद्रिक नीति उपकरण है, जिसका उपयोग केंद्रीय बैंक, जैसे कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), बैंकों में तरलता प्रबंधित करने और शॉर्ट-टर्म ब्याज दरों को नियंत्रित करने के लिए करते हैं। यह रेपो दर का एक रूप है, जिसमें एक मुख्य अंतर यह है कि VRR में जिस दर पर धन उधार लिया जाता है, वह निश्चित नहीं होती, बल्कि परिवर्तनीय होती है। यहाँ इसके मुख्य पहलुओं का विवरण है:

रेपो और VRR की परिभाषा:

रेपो (रिपर्चेज़ एग्रीमेंट) एक वित्तीय लेन-देन होता है, जिसमें केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों या वित्तीय संस्थाओं को सरकारी प्रतिभूतियों के बदले में धन प्रदान करता है। बैंक इन प्रतिभूतियों को एक निश्चित समय के बाद वापस खरीदने का वादा करते हैं, और इसमें ब्याज भी शामिल होता है।

वेरिएबल रेट रेपो (VRR) में ब्याज दर (जिसे रेपो दर भी कहा जाता है) पूर्व निर्धारित नहीं होती, बल्कि यह प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से तय की जाती है। दर उस दर पर आधारित होती है जो भाग लेने वाले बैंकों द्वारा बोली जाती है।

 


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