Why Was Warming Lower Over India in 2024 Despite It Being the Warmest Year Globally?2024 में वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष होने के बावजूद भारत में गर्मी कम क्यों रही?

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January 15, 2025

Why Was Warming Lower Over India in 2024 Despite It Being the Warmest Year Globally?2024 में वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष होने के बावजूद भारत में गर्मी कम क्यों रही?

the year 2024 was the warmest on record for both India and the world, as announced by the World Meteorological Organisation (WMO) and the India Meteorological Department (IMD). However, the warming over India was measured at 1.2°C above the 1901-1910 average, considerably less than the 1.6°C or higher experienced globally over land surfaces. This discrepancy arises from several factors that influence regional and global warming patterns.

Key Reasons for Lower Warming in India:

1. Location in the Tropics

  • India lies in the tropical region, close to the equator, where warming is less pronounced compared to higher altitudes like the Arctic or polar regions.
  • Heat transfer mechanisms through atmospheric circulation move heat from the tropics to higher latitudes, leading to greater warming near the poles.

2. Polar Amplification:

  • The Arctic region has experienced temperatures rising at twice the global average.
  • The albedo effect is a major contributor: melting ice exposes land or water, which absorbs more heat compared to ice, accelerating warming.

3. Greater Aerosol Concentration:

  • The Indian atmosphere contains a higher concentration of aerosols and particulate matter, partly due to natural dust and high levels of air pollution.
  • Aerosols scatter solar radiation, reflecting it back into space, which creates a cooling effect that moderates temperature rise.

4. Ocean’s Cooling Effect:

  • Global temperature rise includes warming of both land and ocean surfaces, while India’s data considers only land surface warming.
  • Oceans warm slower than land because they cool through evaporation, keeping global averages lower than land-only figures.

Implications of Warming for India:

  • Diverse Impact Zones: Warming is not uniform across India. For example, Himalayan regions experience distinct warming patterns compared to coastal areas.
  • High Vulnerability: India faces significant climate threats due to its large population and varied geography, making climate adaptation crucial.

Strengthening Climate and Weather Capabilities:

1. Need for Region-Specific Climate Assessment

  • India needs better models to capture localized climate impacts. The first India-specific climate change impact assessment (2020) was a start, but regular updates are essential.

2. Expansion of Weather Observation Network

  • Initiatives like Mission Mausam (launched in 2024) aim to establish weather monitoring stations in every village by 2047.

3. Enhanced Role of IMD

  • IMD’s functions have expanded to include critical services in disaster management, energy planning, transportation, and agriculture.
  • IMD’s computing and analytical capacities need further strengthening to support these roles effectively.

4. Improved Oceanic Observation

  • Agencies like the Indian National Centre for Ocean Information Systems (INCOIS) need to expand ocean observation networks around India, which are currently inadequate.

Conclusion:

While warming over India in 2024 was lower than the global average, this does not reduce the threat of climate change. Strengthening climate observation, regional assessments, and disaster preparedness will be pivotal for India to adapt and mitigate climate risks effectively.

2024 में वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष होने के बावजूद भारत में गर्मी कम क्यों रही?

2024 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा रिकॉर्ड का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया। हालांकि, भारत में 2024 में तापमान 1901-1910 के औसत से 1.2°C अधिक था, जो वैश्विक भूमि सतह पर अनुभव किए गए 1.6°C या उससे अधिक तापमान वृद्धि की तुलना में काफी कम है। यह अंतर क्षेत्रीय और वैश्विक तापमान वृद्धि पैटर्न को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के कारण है।

भारत में कम तापमान वृद्धि के प्रमुख कारण:

1. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थिति:

  • भारत भूमध्य रेखा के करीब उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है, जहां तापमान वृद्धि ध्रुवीय क्षेत्रों या आर्कटिक जैसे उच्च अक्षांशों की तुलना में कम होती है।
  • गर्मी का स्थानांतरण वायुमंडलीय परिसंचरण के माध्यम से उष्णकटिबंधीय से उच्च अक्षांशों की ओर होता है, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों में अधिक तापमान वृद्धि होती है।

2. ध्रुवीय संवर्धन (Polar Amplification):

  • आर्कटिक क्षेत्र में तापमान वैश्विक औसत की तुलना में दो गुना तेजी से बढ़ा है।
  • अल्बेडो प्रभाव एक प्रमुख कारण है: बर्फ पिघलने से भूमि या पानी उजागर हो जाते हैं, जो बर्फ की तुलना में अधिक गर्मी अवशोषित करते हैं, जिससे तापमान वृद्धि तेज होती है।

3. वायुमंडल में अधिक एरोसोल सांद्रता:

  • भारतीय वायुमंडल में प्राकृतिक धूल और उच्च स्तर के वायु प्रदूषण के कारण एरोसोल और कण अधिक मात्रा में मौजूद हैं।
  • एरोसोल सौर विकिरण को बिखेरते हैं, जिससे यह अंतरिक्ष में वापस परावर्तित हो जाता है और तापमान वृद्धि को कम करता है।

4. महासागरों का शीतलन प्रभाव:

  • वैश्विक तापमान वृद्धि में भूमि और महासागर सतह दोनों की गर्मी शामिल है, जबकि भारत के आंकड़े केवल भूमि सतह की गर्मी पर आधारित हैं।
  • महासागर भूमि की तुलना में धीमी गति से गर्म होते हैं क्योंकि वे वाष्पीकरण के माध्यम से ठंडा हो जाते हैं।

भारत में तापमान वृद्धि के प्रभाव:

1. विविध प्रभाव क्षेत्र:

  • भारत में तापमान वृद्धि समान रूप से नहीं होती। उदाहरण के लिए, हिमालयी क्षेत्र में गर्मी के प्रभाव तटीय क्षेत्रों से बहुत भिन्न हैं।

2. उच्च संवेदनशीलता:

  • भारत अपनी विशाल जनसंख्या और विविध भूगोल के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिससे अनुकूलन उपायों की आवश्यकता बढ़ जाती है।

जलवायु और मौसम क्षमताओं को मजबूत करना:

1. क्षेत्र-विशिष्ट जलवायु आकलन की आवश्यकता:

  • भारत को स्थानीय जलवायु प्रभावों को समझने के लिए बेहतर मॉडल की आवश्यकता है। 2020 में पहला भारत-विशिष्ट जलवायु परिवर्तन प्रभाव आकलन किया गया था, लेकिन इसे नियमित रूप से अपडेट करने की जरूरत है।

2. मौसम अवलोकन नेटवर्क का विस्तार:

  • 2024 में शुरू किए गए मिशन मौसम जैसे प्रयासों का लक्ष्य 2047 तक हर गांव में मौसम निगरानी स्टेशन स्थापित करना है।

3. IMD की भूमिका को सशक्त बनाना:

  • IMD ने आपदा प्रबंधन, ऊर्जा योजना, परिवहन और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी सेवाओं का विस्तार किया है।
  • IMD की कंप्यूटिंग और विश्लेषणात्मक क्षमताओं को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

4. महासागर अवलोकन में सुधार:

  • भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना प्रणाली केंद्र (INCOIS) जैसी एजेंसियों को भारत के चारों ओर महासागर अवलोकन नेटवर्क का विस्तार करने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में अपर्याप्त हैं।

निष्कर्ष:

2024 में भारत में तापमान वृद्धि वैश्विक औसत से कम थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन का खतरा भारत के लिए कम है। भारत को जलवायु अवलोकन, क्षेत्रीय आकलन, और आपदा तैयारी को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि वह जलवायु जोखिमों का प्रभावी ढंग से सामना कर सके।


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