Why in news ? A massive protest took place in Bongaigaon, Assam after a golden langur was killed in an accident on the National Highway-117.
The golden langur (Trachypithecus geei) is an endangered primate species found in the foothills of the Himalayas. It is recognized for its striking golden or cream-colored fur and is endemic to a small region in northeastern India and Bhutan.
Key Features:
- Appearance:
- Golden langurs have a golden or light-buff coat that intensifies during the breeding season.
- They have long tails, sometimes exceeding the length of their body, used for balance.
- Habitat:
- Found in Assam, particularly in the region between the Manas River in the east and Sonkosh River in the west.
- They inhabit deciduous and evergreen forests, often living in the tree canopies.
- Diet:
- They are primarily folivorous, feeding on leaves, fruits, seeds, and flowers.
- Behavior:
- Golden langurs are arboreal and diurnal, spending most of their time in trees.
- They live in small troops, usually led by a dominant male.
Conservation Status:
- IUCN Status: Endangered
- Threats:
- Habitat loss due to deforestation, agriculture, and infrastructure development.
- Fragmentation of forest areas isolating populations.
- Hunting and poaching in some areas.
Significance:
- Golden langurs are a flagship species, representing the health of the forest ecosystems they inhabit.
- They are culturally significant in Bhutan and northeastern India, symbolizing purity and beauty.
Conservation Efforts in India:
- Protected Areas:
- Found in the Manas National Park (a UNESCO World Heritage Site) and other forest reserves in Assam.
- Awareness Campaigns:
- Local and international organizations are working to raise awareness about the importance of protecting golden langurs and their habitats.
- Community Involvement:
- Local communities are engaged in forest protection and eco-tourism initiatives to reduce human impact.
Interesting Facts:
- The golden langur was first scientifically described in 1956 by E.P. Gee, and its species name “geei” honors him.
- The natural boundaries of the golden langur’s habitat (rivers and high mountains) have restricted their population distribution, making them highly vulnerable to habitat changes.
Conservation of the golden langur is critical for maintaining the biodiversity of the Himalayan foothills.
सुनहरी लंगूर (Golden Langur) :
समाचार में क्यों?
असम के बोंगाईगांव में राष्ट्रीय राजमार्ग-117 पर एक सुनहरी लंगूर की दुर्घटना में मृत्यु के बाद विरोध प्रदर्शन हुआ।
यह घटना इस प्रजाति की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है।
सुनहरी लंगूर: परिचय
सुनहरी लंगूर (Trachypithecus geei) हिमालय की तलहटी में पाए जाने वाले एक संकटग्रस्त प्रजाति है। यह अपनी सुनहरी या हल्की क्रीम रंग की फर और पूर्वोत्तर भारत व भूटान में सीमित क्षेत्रीय वितरण के लिए जाना जाता है।
मुख्य विशेषताएँ
रूप-रंग (Appearance):
- सुनहरी या हल्की-क्रीम रंग की फर, जो प्रजनन के मौसम में और गहरी हो जाती है।
- लंबी पूंछ, जो उनके शरीर की लंबाई से भी अधिक हो सकती है, संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
आवास (Habitat):
- मुख्य रूप से असम में मानस नदी (पूर्व में) और सोनकोश नदी (पश्चिम में) के बीच पाया जाता है।
- पर्णपाती और सदाबहार जंगलों में रहना पसंद करते हैं और अक्सर पेड़ों की छतरी में पाए जाते हैं।
आहार (Diet):
- यह मुख्य रूप से पत्तियां, फल, बीज, और फूल खाते हैं।
व्यवहार (Behavior):
- सुनहरी लंगूर आर्बोरियल (पेड़ों पर रहने वाले) और दिवाचर (दिन में सक्रिय) होते हैं।
- छोटे समूहों में रहते हैं, जिन्हें आमतौर पर एक प्रमुख नर नेतृत्व करता है।
संरक्षण स्थिति (Conservation Status):
- IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)।
खतरे (Threats):
- वनों की कटाई, कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास के कारण आवास का नुकसान।
- वन क्षेत्रों का विखंडन, जिससे जनसंख्या अलग-थलग पड़ जाती है।
- कुछ क्षेत्रों में शिकार और अवैध शिकार।
महत्त्व (Significance):
- सुनहरी लंगूर एक प्रमुख प्रजाति (Flagship Species) है, जो उन वन पारिस्थितिक तंत्रों के स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करती है जिनमें यह रहता है।
- यह भूटान और पूर्वोत्तर भारत में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसे शुद्धता और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है।
भारत में संरक्षण प्रयास (Conservation Efforts):
संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas):
- सुनहरी लंगूर मानस राष्ट्रीय उद्यान (UNESCO विश्व धरोहर स्थल) और असम के अन्य वन्यजीव अभ्यारण्यों में पाए जाते हैं।
जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns):
- स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा संरक्षण और आवास की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान।
सामुदायिक भागीदारी (Community Involvement):
- स्थानीय समुदायों को वन संरक्षण और पारिस्थितिक पर्यटन में शामिल किया गया है ताकि मानव प्रभाव कम हो सके।
रोचक तथ्य (Interesting Facts):
- सुनहरी लंगूर का पहली बार 1956 में ई.पी. गी द्वारा वैज्ञानिक वर्णन किया गया था।
- इसका प्रजाति नाम “geei” उन्हीं के सम्मान में रखा गया।
- इनके आवास प्राकृतिक सीमाओं (नदियाँ और ऊँचे पर्वत) के कारण सीमित हैं, जिससे ये आवास परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
निष्कर्ष:
सुनहरी लंगूर का संरक्षण हिमालय की तलहटी की जैव विविधता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। हालिया घटना इनकी सुरक्षा के लिए सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और संरक्षण प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर जोर देती है।