December 27, 2024
What is Ken-Betwa River Linking Project?केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना:
Why in News ? Prime Minister Narendra Modi laid the foundation stone of the Ken- Betwa River Linking National Project on December 25, on the 100th birth anniversary of former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee.
The Congress criticised the PM for this, saying the project poses a threat to the Panna Tiger Reserve
Ken-Betwa River Linking Project:
The Ken-Betwa Link Project (KBLP) is a significant initiative under India’s National Perspective Plan for interlinking rivers, aiming to address water scarcity and improve irrigation in the drought-prone Bundelkhand region. However, it faces substantial environmental and social challenges.
Key Features of the Ken-Betwa Link Project:
Objective:
- Transfer water from the Ken River to the Betwa River, both tributaries of the Yamuna, through a 221-km-long canal, including a 2-km tunnel.
- Enhance irrigation, provide drinking water, and generate renewable energy.
- Scope:
- Annual irrigation for 10.62 lakh hectares (8.11 lakh hectares in Madhya Pradesh and 2.51 lakh hectares in Uttar Pradesh).
- Drinking water supply for 62 lakh people.
- Power generation: 103 MW hydropower and 27 MW solar power.
- Project Phases:
- Phase I: Construction of the Daudhan Dam, tunnels, and Ken-Betwa link canal.
- Phase II: Lower Orr Dam, Bina Complex Project, and Kotha Barrage.
- Cost and Timeline:
- Estimated cost: ₹44,605 crore (2020-21 prices).
- Completion timeline: 8 years.
Regional Benefits:
- Target Area:
- Bundelkhand region, spanning 13 districts in Madhya Pradesh and Uttar Pradesh.
- Key beneficiaries: Panna, Tikamgarh, Chhatarpur, Banda, Mahoba, Jhansi, and Lalitpur districts.
- Economic Impact:
- Expected to boost agriculture, provide stable water supply, and support regional development.
- Encourages further river-linking projects to mitigate water scarcity across India.
Environmental Concerns:
- Impact on Panna Tiger Reserve:
- Submergence of 98 sq km within the reserve, affecting tiger habitat.
- Large-scale deforestation, with the felling of 2-3 million trees.
- Potential disruption to the tiger population, which was successfully reintroduced after local extinction in 2009.
- Wildlife Threats:
- Adverse effects on the Gharial population in the Ken Gharial Sanctuary.
- Destruction of vulture nesting sites.
- Hydrological and Climate Impact:
- Concerns over Ken River’s surplus water data and the project’s hydrological viability.
- Potential rainfall deficit due to changes in land-atmosphere interactions.
Social Impacts:
- Displacement:
- Over 6,628 families to be displaced (5,228 in Chhatarpur district and 1,400 in Panna district).
- Protests over inadequate compensation and perceived lack of benefits for locals.
- Economic Viability:
- Questions raised by the Supreme Court’s Central Empowered Committee (CEC) on alternative irrigation methods and overall cost-effectiveness.
Government and Opposition Views
- Government Position:
- Described as vital for Bundelkhand’s water and agricultural needs.
- PM Modi emphasized the project’s transformative potential during the foundation stone-laying ceremony.
- Criticism:
- The Congress and environmentalists argue it endangers the Panna Tiger Reserve and disrupts local ecology.
- The CEC highlighted the lack of precedent for large infrastructure projects within core national park areas.
Way Forward
- Alternative Measures:
- Explore local irrigation solutions and improve water-use efficiency before implementing such large-scale projects.
- Environmental Safeguards:
- Strengthen measures to minimize ecological disruption and ensure sustainable development.
- Public Engagement:
- Address local concerns with fair compensation and community involvement in decision-making.
The Ken-Betwa Link Project represents a balance between development needs and environmental preservation, with its success depending on sustainable implementation and stakeholder cooperation.
केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना:
परियोजना का परिचय:
केन-बेतवा लिंक परियोजना (KBLP) केन नदी से पानी को बेतवा नदी में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव करती है। ये दोनों नदियां यमुना की सहायक नदियां हैं। यह परियोजना मुख्य रूप से जल की कमी वाले बुंदेलखंड क्षेत्र की मदद करने के लिए बनाई गई है।
परियोजना का महत्व:
- लंबाई और संरचना:
केन-बेतवा लिंक नहर 221 किमी लंबी होगी, जिसमें 2 किमी लंबी सुरंग शामिल है।
- सिंचाई और पेयजल आपूर्ति:
यह परियोजना 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि को सालाना सिंचाई प्रदान करेगी, जिसमें मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर शामिल है।
इसके अलावा, लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
- ऊर्जा उत्पादन:
परियोजना से 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।
परियोजना के चरण:
- पहला चरण:
दाउधन बांध परिसर और उसकी सहायक इकाइयों का निर्माण, जैसे लो लेवल टनल, हाई लेवल टनल, और पावर हाउस।
- दूसरा चरण:
लोअर ओर बांध, बीना कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट, और कोठा बैराज का निर्माण।
परियोजना का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
- प्रारंभिक योजना:
1980 में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत इस परियोजना की शुरुआत की गई।
- समझौता:
मार्च 2021 में, जल शक्ति मंत्रालय और मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश सरकारों ने इस परियोजना को लागू करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- राष्ट्रीय परियोजना घोषित:
2008 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया।
परियोजना से लाभान्वित क्षेत्र:
यह परियोजना मुख्य रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभ पहुंचाएगी, जिसमें मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिले शामिल हैं, जैसे:
- मध्य प्रदेश: पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, और रायसेन।
- उत्तर प्रदेश: बांदा, महोबा, झांसी, और ललितपुर।
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:
- पर्यावरणीय चुनौतियां:
- दाउधन बांध के निर्माण से पन्ना टाइगर रिजर्व के 98 वर्ग किमी क्षेत्र में जलमग्नता होगी।
- 20-30 लाख पेड़ों की कटाई का अनुमान है।
- परियोजना गिद्धों के घोंसले और केन घड़ियाल अभयारण्य की जैव विविधता को प्रभावित कर सकती है।
- सामाजिक प्रभाव:
- 5,228 परिवार छतरपुर जिले में और 1,400 परिवार पन्ना जिले में विस्थापित होंगे।
- स्थानीय लोगों ने अपर्याप्त मुआवजे और कम लाभों को लेकर विरोध किया है।
विवाद और आलोचना:
- सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) ने परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता और पर्यावरणीय प्रभाव पर सवाल उठाए।
- IIT-बॉम्बे के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में पाया गया कि नदी जोड़ने की परियोजनाएं सितंबर में औसत वर्षा में 12% की कमी ला सकती हैं।
- पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम को नुकसान पहुंचने की संभावना है।
निष्कर्ष:
केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र की जल समस्या को हल करने और कृषि एवं ऊर्जा उत्पादन में सुधार लाने की उम्मीद है। हालांकि, इसके पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के कारण इसे लेकर गंभीर चिंताएं भी हैं।